रिपोर्टर नितिन वर्मा/नूंह
नूंह। नूंह जिले में मंगलवार को देवोत्थान (देवउठनी एकादशी) पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। मंगलारती से ही मंदिरो में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा था तथा नगर की पुरानी अनाज मंडी स्थित प्राचीन सिद्धेश्वर मंदिर में वैदिक मंत्रोचारण व रीति-रिवाज के साथ भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संयोजन गायत्री मंदिर व सिद्धेश्वर मंदिर की महिला मंडल ने किया। इस मौके पर काफी तादाद में श्रद्धालुओं ने शिरकत की तथा नूंह की महिलाओ ने गाजे बाजे के साथ पूरे शहर में भगवान शालिग्राम की बारात निकाली। महिलाओं ने विधिवत द्वारचार की रस्म अदा की, मंगल गीत गाए व भगवान शालिग्राम और माता तुलसी पर फूलों की वर्षा की। विवाह के समय माता बहनों ने हल्दी-मेहंदी रस्म अदा की। वहीं दहेज में बर्तन कपड़े, सहित आवश्यक वस्तु भेंट की गई। इस मौके पर विशाल हवन करके भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के फेरे करवाए गए।श्रद्धालुओं ने तुलसी जी को गले लगाकर विदाई दी। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पंडित सतीश कुमार मिश्रा ने कहा कि पुराणों में यह उल्लेखित है कि भगवान ने तुलसी के रूप में वृंदा का वरण किया। यह वरण कार्तिक मास शुक्ल पक्ष में किया गया था। इसलिए इसी तिथि पर भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह होता है। उन्होंने बताया कि स्कंद पुराण में वर्णित है कि जो यजमान भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह कराता है उसे दस वाजपेय यज्ञों का पुण्य मिलता है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डाक्टर दीपांशु गर्ग, तोसी मिश्रा, पीयूष मिश्रा,योगेश नितिन वर्मा, रानी मिश्रा, अनिता वर्मा, अंजली गोयल,ध्रुव वर्मा,राज गर्ग, बीरवती, साधना जैन,ममता,पायल जैन, लक्ष्मी जैन,सुमन,सीमा सिंगला, ब्रह्माकुमारी संजीवनी बहन, शोभा सिंगला,चंचल गर्ग, उषा रानी, रमा, मनीषा बंसल, नैना माथुर,सुरभि सिंगला तथा शहर की समस्त महिलाओ का योगदान रहा।